एक घने जंगल में, जहाँ ऊंचे वृक्षों की छाया में अनेक जानवर शांति से रहते थे, वहाँ राज करता था एक शक्तिशाली शेर जिसका नाम था वीरसिंह। वीरसिंह अपनी दहाड़ से पूरे जंगल को दहला देता था, लेकिन वह एक न्यायप्रिय राजा था।
उसी जंगल में एक छोटे से बिल में रहता था एक नन्हा चूहा, जिसका नाम था चंचल। चंचल हमेशा खेलने-कूदने में व्यस्त रहता था और किसी भी बात से नहीं डरता था। जंगल के दूसरे कोने में छुपकर रहता था एक धूर्त भेड़िया काला, जो हमेशा शेर से जलता था और जंगल पर अपना राज स्थापित करना चाहता था।
चूहे की शरारत और शेर की दया
एक गर्म दोपहर में, भोजन करने के बाद वीरसिंह एक विशाल वृक्ष की छाया में गहरी नींद में सो गया था। चंचल उसी समय खेलते-खेलते वहाँ पहुँच गया। सोते हुए शेर को देखकर उसे मस्ती सूझी और वह शेर के शरीर पर चढ़कर इधर-उधर कूदने लगा।
शेर की नींद टूट गई और वह गुस्से से दहाड़ता हुआ उठा। उसने तुरंत चंचल को अपने मजबूत पंजों में जकड़ लिया। “तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने जंगल के राजा की नींद में खलल डाला!” शेर गरजा।
चंचल डर गया और काँपते हुए बोला, “महाराज, मुझसे गलती हो गई! कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मैं तो एक छोटा सा चूहा हूँ। अगर आप मुझे छोड़ देंगे, तो मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा। जब भी आपको मेरी जरूरत होगी, मैं आपकी मदद करूंगा।”
शेर चंचल की बात सुनकर हंस पड़ा। “तुम जैसा छोटा चूहा मेरी क्या मदद करेगा?” फिर भी उसे चूहे पर दया आ गई और उसने उसे छोड़ दिया।
भेड़िये की चालाकी
इस घटना को दूर से काला भेड़िया देख रहा था। उसके मन में एक शैतानी योजना आई। वह सोचा, “यह तो बहुत अच्छा मौका है। मैं इस चूहे का इस्तेमाल करके शेर को फंसा सकता हूँ।”
कुछ दिन बाद, काला भेड़िया चंचल के पास गया और मीठी बातों में उसे फंसाते हुए बोला, “चंचल, मैंने सुना है कि शेर ने तुम्हें छोड़ा था। लेकिन क्या तुम जानते हो कि वह तुमसे कितना नाराज है? वह कह रहा था कि अगली बार तुम्हें देखा तो खा जाएगा।”
चंचल घबरा गया। भेड़िया आगे बोला, “लेकिन मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। मैं शेर से तुम्हारे लिए माफी माँग दूंगा, बशर्ते तुम मेरी एक छोटी सी बात मान जाओ।”
“क्या करना होगा मुझे?” चंचल ने पूछा।
“बस इतना कि जब मैं कहूँ, तो तुम शेर के खाने में कुछ जड़ी-बूटी मिला देना जिससे वह बीमार हो जाए। फिर मैं उसका इलाज करके उसका भरोसा जीत लूंगा,” भेड़िये ने झूठ बोला।
लेकिन चंचल एक बुद्धिमान चूहा था। उसे भेड़िये की बातों पर शक हुआ।
शेर मुश्किल में
कुछ दिन बाद, शेर जंगल में घूम रहा था कि अचानक वह शिकारियों के बिछाए जाल में फंस गया। वह जितना भी छटपटाता, जाल और कसता जाता। शेर की दहाड़ सुनकर पूरा जंगल हिल गया।
काला भेड़िया यह देखकर खुश हो गया। वह सोचा कि अब उसका रास्ता साफ है। लेकिन चंचल को शेर की मुसीबत का पता चलने पर वह तुरंत दौड़ता हुआ वहाँ पहुँचा।
“महाराज, आप घबराइए मत! मैं आपको इस जाल से मुक्त करा दूंगा,” चंचल ने कहा।
शेर ने हैरानी से पूछा, “तुम यहाँ क्यों आए? तुम तो मुझसे डरते हो।”
“महाराज, उस दिन आपने मुझ पर दया करके मेरी जान बचाई थी। आज मैं आपकी जान बचाऊंगा,” चंचल ने जवाब दिया।
भेड़िये का सच उजागर
चंचल अपने तेज दांतों से जल्दी-जल्दी जाल काटने लगा। इसी बीच काला भेड़िया वहाँ पहुँचा। वह चाहता था कि शेर जाल में ही फंसा रहे।
“रुको चूहे! यह शेर हमारा दुश्मन है। इसे यहीं मरने दो,” भेड़िये ने कहा।
चंचल ने भेड़िये की तरफ देखा और बोला, “तुमने मुझसे झूठ कहा था। तुम शेर को नुकसान पहुँचाना चाहते हो।”
भेड़िया अपना असली रूप दिखाते हुए गुर्राया, “हाँ, मैं इस शेर को मारकर जंगल का राजा बनना चाहता हूँ। और तुम जैसे छोटे जानवरों को मैं अपना गुलाम बनाऊंगा।”
शेर को अब सब कुछ समझ आ गया। उसने देखा कि चंचल कितनी मेहनत से उसे बचाने की कोशिश कर रहा है।
दोस्ती की जीत
चंचल ने आखिरकार जाल काट दिया और शेर मुक्त हो गया। शेर ने गुस्से में भेड़िये की तरफ देखा, लेकिन भेड़िया डर के मारे जंगल से भागकर कभी वापस नहीं आया।
शेर ने चंचल को धन्यवाद दिया और कहा, “चंचल, आज तुमने मुझे सिखाया कि मित्रता में आकार-प्रकार का कोई महत्व नहीं होता। तुम भले ही छोटे हो, लेकिन तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है। आज से तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो।”
चंचल खुशी से बोला, “महाराज, दोस्ती में कोई बड़ा या छोटा नहीं होता। जब आप पर मुसीबत आई तो मैं आपको कैसे अकेला छोड़ देता?”
उस दिन के बाद से शेर और चूहा के बीच गहरी दोस्ती हो गई। वे साथ में खेलते, साथ घूमते और एक-दूसरे की हमेशा मदद करते थे। जंगल के सभी जानवर उनकी दोस्ती की मिसाल देते थे।
शेर और चूहे की कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि:
सच्ची दोस्ती में आकार या शक्ति का कोई महत्व नहीं होता
दया और क्षमा की भावना हमेशा अच्छे परिणाम लाती है
बुराई चाहे कितनी भी चालाकी करे, सच्चाई हमेशा जीतती है
छोटे से छोटा व्यक्ति भी बड़े से बड़े काम आ सकता है
… और इस तरह शेर वीरसिंह, चूहा चंचल और धूर्त भेड़िया काला की यह कहानी खत्म होती है – जहाँ दोस्ती की जीत हुई और बुराई की हार।