सोनू की सहृदयता – अच्छाई की हमेशा जीत होती हैं !

सोनू एक बहोत गरीब घर का लड़का था. वो शहर की झोपड़पट्टी में रहता था. उसके माता पिता बहोत ही गरीब थे और दिन भर मजदूरी करने के बाद भी मुश्किल से ही अपना घर चला पाते थे. कभी कभी उनके पास खाने पिने के लिए भी कुछ नहीं होता था.

मगर सोनू पढाई लिखे में बहोत ही तेज़ था. वह पढ़ लिख कर एक बड़ा आदमी बनाना चाहता था. साथ ही वो गरीब होने के बावजूद बड़ा ही दिलदार और अच्छे स्वभाव का इंसान था. वह हमेशा दूसरों की मदद करता था और अपने कक्षा के बाकि लोगों से अच्छा व्यवहार करता था.

पढाई में तेज़ होने के साथ साथ वह रोज सबेरे अखबार बाटने का काम करके कुछ पैसे भी कमाता था. इस काम से कमाए हुए पैसे से अपनी पढाई पूरी करता और साथ ही अपने परिवार की भी सहायता करता.

इस वजह से उसके शिक्षक और स्कूल के बाकि बच्चे उसे बहोत पसंद करते थे. वह अपनी स्कूल में सबका चहिता था.

मगर उसकी क्लास में सोहन नाम का लड़का था जो सोनू को बिलकुल भी पसंद नहीं करता था. सोहन सोनू से नफ़रत करता और उसकी सफलता से जलता था. सभी शिक्षक और बाकि बच्चे जब सोनू की तारीफ़ करते तो सोहन को ये बात बिलकुल पसंद नहीं आती थी .

सोहन एक अमीर माता पिता का बिगड़ा हुआ बेटा था. उसके पिता शहर के बड़े बिजनेसमैन थे और बहोत पैसे वाले थे. वह महंगे कपडे पहनता और बहोत सारे पैसे फिजूल खर्च करता था. वह कार में बैठ कर स्कूल आता था और अपने आप को सबसे अच्छा और ऊँचा समझता था. वह दूसरों का अपमान करने में हमेशा आगे रहता था और अपने शिक्षकों से भी अपमान जनक बर्ताव करता था.

सोहन और उसके कुछ दोस्त मिलकर हमेशा सोनू को सबक सिखाने के बारे में सोचते रहते. जब भी मौका मिलता तो सोनू की झूठी शिकायत करते थे. मगर क्योंकि सभी शिक्षक ये बात जानते थे, सोनू हमेशा बच जाता था.

स्कूल की अंतिम परीक्षा आने वाली थी और सभी बच्चे जोरो शोरो से परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. सोनू भी परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार था. मगर सोहन और उसके दोस्तों की जरा भी पढाई नहीं हुयी थी. उन्होंने साल भर केवल मौज मस्ती करके समय बर्बाद ही किया था.

मगर सोहन ने इस बार सोनू को परेशान करने का प्लान बनाया. वह नहीं चाहता था के सोनू इस बार कक्षा में प्रथम आये.

पहला पेपर गणित का था.

परीक्षा से पहले सभी छात्र अपना अपना बस्ता कक्षा में रख कर सुबह की प्रार्थना और राष्ट्रगीत के लिए मैदान में एकत्रित हुए थे. तभी सोहन ने बाथरूम जाने का बहाना बनाया और कक्षा की तरफ चला गया. उसने चुपके से सोनू के बस्ते में से उसका कंपास बॉक्स जिसमे उसके पेन, पेन्सिल, इत्यादि सामान रखा था, चुरा लिया और चुपचाप खिड़की से बाहर रखे कूड़ेदान में फेंक दिया. इसके बाद मन ही मन खुश होते हुए प्रार्थना के लिए चला गया.

प्रार्थना के बाद सभी बच्चे कक्षा में आये. सोनू ने अपना बस्ता खोला और देखा के उसका कंपास गायब है. वो परेशान हो गया. उसने बहोत ढूंढा मगर उसे वो कही नहीं मिला. बिना कंपास के वह परीक्षा नहीं दे सकता था.

उसे परेशान देख कर सभी बच्चे उसे पास आ गए. मगर कोई नहीं जानता था के कंपास कहा चला गया हैं. उधर सोहन मुस्कुरा रहा था क्योंकि उसे लग रहा था के उसने सोनू को अच्छा सबक सिखाया है.

तभी इतिहास के शिक्षक कक्षा में आये और उन्होंने सोहन से पूछा – “सोहन तुम प्रार्थना के वक़्त कक्षा में क्यों गए थे? कही तुमने ही तो सोनू का कंपास बॉक्स नहीं ले लिया?” दरअसल उन्होंने सोहन को उस वक़्त कक्षा में जाते हुए देख लिया था.

अचानक किये हुए इस सवाल से सोहन बुरी तरह घबरा गया और बोला – ‘नहीं नहीं सर, मैं तो बाथरूम गया था … मैंने कुछ नहीं किया ‘

सभी शिक्षकों ने सी सी टीवी की जाँच की. उसमे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था के सोहन प्रार्थना के वक़्त कक्षा में गया था और वह सोनू की बैग में से कुछ निकाल रहा था.

सोहन अब रंगे हाथो पकड़ा गया. वो इतना डर गया के कुछ बोल ही नहीं पा रहा था. वह डर के मारे थर थर कांपने लगा.

प्रधानाचार्य ने कहा के इस गलती के लिए सोहन को स्कूल से निकल दिया जायेगा. लेकिन तभी सोनू ने उसे बचा लिया. सोनू ने कहा – “सोहन से गलती जरुर हुयी हैं सर लेकिन अगर हम उसे स्कूल से निकाल देंगे तो उसका भविष्य बर्बाद हो जायेगा. उसे माफ़ कर दीजिये सर”

सोनू की सहृदयता देख कर सभी बहोत प्रभावित हो गये. सोहन भी सोनू से माफ़ी मांगने लगा और उसने वादा किया के आज के बाद वो सोनू को कभी भी परेशान नहीं करेगा.

 

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